
गीता में लिखा गया है कि ये संसार उल्टा पेड़ है। इसकी जड़ें ऊपर और शाखाएं नीचे हैं। यदि कुछ मांगना और प्रार्थना करना है तो ऊपर करना होगी, नीचे कुछ भी नहीं मिलेगा। आदमी का मस्तिष्क उसकी जड़ें हैं।
वर्तमान में ज्योतिष विद्या के कई भिन्न-भिन्न रूप प्रचलित हो गए हैं। अब इस विद्या के जानकार कम और इस विद्या से धनलाभ प्राप्त करने वाले बहुत मिल जाएंगे, जो मनमाने उपाय बताकर लोगों को भटकाने और डराने का कार्य ज्यादा करते हैं। निश्चित ही इससे ज्योतिष विद्या की प्रतिष्ठा गिर गई है।
ज्योतिष विद्या किसी इंसान द्वारा बनाई गयी विद्या नही है ये हमारे पूर्वजो द्वारा शास्त्रो मे से लिया गया एक अद्भुत ज्ञान है , जिसे मानव जीवन मे हर इंसान को अपने जीवन मे उतारना चाहिए …
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