
वैदिक ज्योतिष में केतु मानव जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है यह यंत्र, मंत्र, तंत्र और मोक्ष का माना जाने वाला ग्रह है।
चलिए जानते है केतु (ketu) ग्रह के बारें में कुछ अनसुनी बाते :-
कलियुग में भक्ति , ज्ञान , वैराग्य और मोक्ष के देवता ग्रह केतु को माना गया है ,
राहु ग्रह की तरह केतु भी एक छाया ग्रह है।
केतु हमारे इस जन्म में पूर्वजन्म का फल देता है इसी कारण केतु भाग्य ग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
राहु ग्रह के एक दम सामने वाली राशि मे केतु विराजमान होते है।
राहु एक पापी ग्रह है राहु की दृष्टि केतु ग्रह पर पड़ने के कारण केतु को भी पापी ग्रह में रखा गया है ,
परंतु केतु ग्रह को आध्यत्म ,तंत्र-मंत्र, मोक्ष का कारक माना गया है ।
नवग्रहों में केतु ही एक ऐसा ग्रह है जो भक्ति प्रधान ग्रह है। पूजा-पाठ, तंत्र मंत्र, आध्यत्म के देवता ग्रह केतु को माना गया है ।
केतु (ketu) ग्रह की राशि:-
वैदिक ज्योतिष में केतु (ketu) को किसी भी राशि का स्वामी नही माना जाता है ,
परंतु केतु (ketu) को धनु राशि मे उच्च का मिथुन राशि मे नीच का माना जाता है ।
केतु (ketu) के नक्षत्र स्वामी :-
वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार केतु राक्षस का धड़ है और सिर के भाग को राहु ग्रह कहते है ,
जनमानस की कुंडली मे राहु और केतु मिल कर ही काल सर्प दोष का निर्माण करते है ।
शुभ केतु ग्रह :-
कुंडली मे शुभ केतु होने पर ऐसे जातक को केतु धर्म प्रचारक ,
भक्ति मार्ग , ज्ञानी ,दानी स्वभाव का बनाता है,
मुक्ति और मोक्ष के कारक ग्रह केतु कुंडली मे शुभ अवस्था मे होने पर कथा वाचक,
धर्म शिक्षक , शास्त्र पुराण वाचक, किसी भी धर्म की शिक्षा लेने वाला , दान पुण्य करने वाला ,
हमेशा धर्म से जुड़े कार्य करने और करवाने वाला जातक होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के बाहरवें भाव मे केतु को बलवान अवस्था मे माना गया है।
बलवान केतु व्यक्ति को एकांत प्रिय बना देता है कुंडली मे केतु और गुरु की युति को शुभ फलप्रदायक माना गया है ।
केतु ग्रह के अशुभ होने के लक्षण:-
1. जातक की कुंडली मे केतु कमजोर होने पर पुत्र के रूप में संतान प्राप्त होने में परेशानी आती है।
2. केतु के कमजोर होने पर ऐसी कोई बीमारी होती है, जो कि डॉक्टर या किसी भी जांच में समझ नही आती है।
3. किसी नशे, जुए की आदत लग जाना।
4. त्वचा से संबंधित रोग हो जाना और पैरों के नाखून खराब होना।
5. आत्मविश्वास में कमी रहती है।
6. आमतौर पर कमजोर केतु के जातक किसी भी बात पर ग़ुस्से में स्वयं को नुकसान पहुचाने लगते है।
7. चंद्रमा का खुद का कोई प्रभाव नही होता ये दूसरे ग्रह के प्रभाव में आ जाता है
जैसे :- गुरु के प्रभाव में आकर पेट संबंधित रोग
मंगल के प्रभाव में आकर रक्त में कमी होने लगती है।
चंद्रमा के प्रभाव में आकर के मानसिक तनाव, अशांति देता है।
8. कमजोर केतु के जातक को अचानक होने वाली घटनाओं का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
9. कमजोर केतु वाला जातक किसी अन्य व्यक्ति के विचारों में अपना विचार मिलने लग जाता है स्वयं की बुद्धि विवेक का उतना इस्तेमाल नही कर पाता है।
10. ऐसा जातक अपने मन मे बार बार घर परिवार को छोड़ने या फिर आत्महत्या करने जैसे विचारो को मन में लाता है।
11. कुंडली मे दूसरे, आठवें ओर ग्यारहवें भाव मे केतु होने पर और उस पर शनि या मंगल की दृष्टि या युति होने से केतु कमजोर होकर अशुभ फल देने लगता है।
ketu ko majboot karne ke upay:-
1. केतु ऊँचाई के कारक है , इसलिए केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए मंदिर या किसी धर्म स्थल में ध्वजा लगाना या लगवाने चाहिये।
2. केतु को मजबूत करने के लिए एक से अधिक रंग के कुत्तों की सेवा और उन्हें कुछ ना कुछ खाने को देना चाहिए ।
3. गुरु ग्रह को बल देने से केतु अपना प्रभाव शुभ देते है , गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन मंदिर जाए एवं धर्म स्थल की सेवा करनी चाहिए ।
4. गणेश जी की आराधना करने से केतु का बुरा प्रभाव कम होता है , गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें ।
5. भेरूजी की उपासना करने से केतु का बुरा प्रभाव शांत होता है , भेरू जी के मंदिर में प्रसाद चढ़ाए ।
6. प्रति मंगलवार और शनिवार को बंजरग बाण का पाठ चमेली के दीपक लगा कर करने से केतु का बुरा प्रभाव शांत होता है ।
7. जरूरत मंद, नेत्रहीन, कोढ़ी को अपने पहने हुए कपड़े दान में देने से केतु ग्रह कुंडली मे मजबूत होते है ।
8. काले तिल को काले कपड़े में बांध कर शनिवार को बहते पानी मे बहाए।
9. केतु के बुरे प्रभाव से ज्यादा परेशान होने पर कम से कम 7 मंगलवार हनुमान मंदिर में ध्वजा लगना चाहिए।
10. ऊँचाई के कारक केतु होने के कारण बड़े बुजुर्गों की सेवा से केतु ग्रह का बुरा प्रभाव ख़त्म होता है ।
केतु (ketu) के दान:-
कम्बल, तिल का तेल, कस्तुरी, सोना, शस्त्र, काली उडद, 7 तरह के अनाज।
केतु (ketu) का मंत्र :-
कुण्डली में केतु को मजबूत बनाने के लिए केतु मंत्र का 17000 बार जाप करना चाहिये।
बीज मंत्र:- ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
Shani dev ke Upay
केतु के बताए गए उपाय में से कुछ उपाय करके
भी कुंडली में केतु को मजबूत कर सकते है एवं जीवन में आ रही परेशानियों को दूर कर सकते है ।
उपाय कम से कम 90 दिनों तक लगातार करे और उचित फल की कामना करे।
Rahu ke Upay
हम आशा करते है केतु के बारे मे जानकारी से आप संतुस्ट होगे ,
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